किसान  ( ...Pride of a Country ...)

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अपनी खुशियों की बलि चढ़ाता 

अपनी तकलिफ़ों से लड़ता झगड़ता 

दिन -रात सालों मेहनत करता 

कोई कभी भूखा ना रहे यह सुनिश्चित करता 

 उनको अपनी फ़सल का उचित मूल्य ना मिलता 

फ़िर भी उसकी परवाह किए बिना 

देश की प्रगति में पहिया बनता 

वो तो हैं हमारे अन्नदाता 

फ़िर हमेशा तुच्छ क्यों उनको समझा जाता ?


सपने तो उनके भी हैं लाखों -हजार 

लेकिन कैसे दे वो उनको आकार 

जब दिया ना जाए उन्हें उनका अधिकार 

आखिर कब समझेगी सरकार 

जीवन जीने के वो भी हैं हकदार 

हो रही है जो भी तकरार 

उन सब पर गौर फ़रमा 

करना होगा रास्ता इख्तियार 

ताकि मिले उन्हें भी खुशियों भारा संसार

                —_– 🖋 © रचना मुर्मू 


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