हमदम
" हमदम "
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हमदम ऐसा हो जो हर दर्द बाँट ले
दुखों के बादलों से खुशियाँ छाँट ले
फूलों से गम के हर कांटे काट ले
खोल हर रिश्तों में आई गाँठ ले
ऊँची -निची डगर में हाँथ थाम ले
आँखो से पढ़कर ज़ज़्बात जान ले
जब भी सज़दा करे खुदा की तो
खुदा से मुहब्बत भरी सौगात माँग ले
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Very nice
ReplyDeleteImpressive
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